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वोट पड़ गया क्या?

मेरे बोल
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लो भाई , बहुत चीख-चिल्ला लिए. मुझे वोट करो-मुझे वोट करो ,मैं ही तुम्हारे दुःख दर्द दूर कर सकता हूँ . अब ये बात अलग है कि जीतने के बाद इनकी शक्ल सिर्फ टी.वी. पर ही दिखाई दे. क्योंकि फिर ये वी.आई.पी. बन जायेंगे. कुछ गाड़ियाँ सरकारी मिलेंगी , कुछ ये अपने बीबी-बच्चों के लिए हथियाएंगे.फिर ये कभी हाथ नहीं आयेंगे.सरकारी निधियों के मालिक जो बन जायेंगे,फिर आप किस खेत कि मूली हो.
ये क्या? गिनती छह मार्च को है.धन्य है चुनाव आयोग , इन्हें भी जता ही दिया कि इंतजार क्या होता है? इस एक महीने ही सही जमीन पर तो रहोगे. फिर क्या पता ऊँट किस करवट बैठेगा.अबके वारे हो गए या पारे हो गए.वैसे पिछले चुनाव और अबके चुनाव में आपकी संपत्ति के अंतर को देखकर लगता है कि इससे बढ़िया कोई उधोग हो ही नहीं सकता.कुछ दिनों कि मेहनत और पांच साल का राज. बाकी दुनिया जाये भाड़ में आपकी बला से.
जनता का क्या है वोट डालना था डाल आये. कुछ ने नखरे दिखाए, कुछ ने कुछ कमाए.कभी-कभी तो इन बेचारों को भी मौका मिलता है मुंह मारने का.बाकी समय तो ये ही थैलों से मुंह नहीं निकालते.भली-भली ,नरम -गरम सब चबा लेते हैं.बची खुची इनके गणों के हिस्से आती है.अब आपका क्या है वोट डाल आए क्या ?

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