- 25 Posts
- 110 Comments
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में बहुमत किसी को नहीं मिला. सरकार बनाने के लिए कांग्रेस की दावेदारी के बाद मुख्यमंत्री और मंत्री बनने की जोड़-तोड़ अपने चरम पर है. पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों ऊपर-नीचे, दायें-बाएं कर टटोल रहे थे. पर्यवेक्षक भी हैरान और पसीना-पसीना हो गए होंगे कि यहाँ कम से कम ५०% विधायक तो मुख्यमंत्री ही बनेंगे, देवभूमि जो है. कम से कम १० मुख्यमंत्री तो अपने ही दल में और २-3 मुख्यमंत्री समर्थन करने वालों में से. सांसद भी छाती ठोककर सामने हैं. लो बना लो सरकार. पहले तो हाईकमान के डर से परदे के पीछे से ही खेल चल रहा था , अब तो ये हो गया है कि ‘नाचने उठे हैं तो घूंघट कैसा’.
दूसरी तरफ वाले भी पूरी तैयारी से हैं कि मौका मिले और कैसे भी थोडा इधर-उधर हो जाए, तो चुपके से कुर्सी पर तशरीफ़ रख दी जाय. ये कुर्सी चीज ही ऐसी होती है.कुर्सी है तो सब कुछ होता है,वरना कुछ-कुछ होता है. खोखले सिद्धांतों के पीछे लट्ठ लिए घूमना कोई अक्लमंदी नहीं है. कल उत्तराखंड के एक बड़े नेता भावुक होकर खुद को ‘बालिका वधु’ बता गए. मैं सोचता रहा कि ‘बालिका वधु’ से इनकी कैसी समानता?
आप तो जानते ही होंगे कि पिछले कई वर्षों से कलर्स चैनल पर एक लोकप्रिय धारावाहिक चल रहा है, ‘बालिका वधु’. राजस्थानी पृष्ठभूमि में बने इस धारावाहिक में बालिका वधु का कम उम्र में विवाह हो जाने के कारण उसका बचपन छीन लिया गया.उसकी सास बड़ी कठोर है,अपना हर हुक्म चलवाती है.चाहे वह सही हो या गलत. बालिका वधु की पात्र ‘आनंदी’ अब जवान हो गयी है. आनंदी गाँव की सरपंच हो गयी है. उसका पति जो डाक्टर हो गया है,उसको छोड़कर किसी दूसरी डाक्टरनी के साथ रहने लगा है. उसकी दूसरी पत्नी से उसे बच्चा भी होने वाला है.
पर…. नेताजी आप और ‘बालिका वधु’. अब आपने कहा है तो कुछ सोचकर ही कहा होगा. हम अल्पज्ञानी तो बस अंदाजा ही लगा सकते हैं. सास का अंदाजा तो लग रहा है पर बालिका वधु का पति ,उसकी दूसरी पत्नी और उनका होने वाला बच्चा… ये सब कौन हैं?
Read Comments